पर आज़ाद कहां हूँ पर आज़ाद कहां हूँ
हर भले बुरे हाल में, माथा टेकते जा रहे हैं। हर भले बुरे हाल में, माथा टेकते जा रहे हैं।
रुकना नहीं मुझे भले याँ छाँव घनी है रुकना नहीं मुझे भले याँ छाँव घनी है
तपिश को अपने सांसों की मेरी सांसों में घुल जाने दो तपिश को अपने सांसों की मेरी सांसों में घुल जाने दो
जो सुकून अपने नहीं दे पाते, वह मिलता है उन भले लोगों से।। जो सुकून अपने नहीं दे पाते, वह मिलता है उन भले लोगों से।।
जब सुबह की धूप प्यारी बांह मेरी थाम लेगी। जब सुबह की धूप प्यारी बांह मेरी थाम लेगी।