तुम्हारी उंगलियों के पोरों से लिखा जाता स्याही और कागज़ के बिना। तुम्हारी उंगलियों के पोरों से लिखा जाता स्याही और कागज़ के बिना।
निर्गुण निराकार ब्रह्म रूप में ध्यान कीजिए। ईश्वरीय आभा का स्वतः ही आभास हो जाएगा।।। निर्गुण निराकार ब्रह्म रूप में ध्यान कीजिए। ईश्वरीय आभा का स्वतः ही आभास हो ...
मैं महान हूँ मैं पतित हूँ, मैं भविष्य हूँ, मैं अतीत हूँ। रणवीर हूँ मैं, रणछोड़ हूँ मैं, जोड़ हूँ... मैं महान हूँ मैं पतित हूँ, मैं भविष्य हूँ, मैं अतीत हूँ। रणवीर हूँ मैं, रणछोड़...
मैं भी कुछ अच्छी कृतियाँ कर दिखाऊँगी समाज को दर्पण। मैं भी कुछ अच्छी कृतियाँ कर दिखाऊँगी समाज को दर्पण।
पद वंदन जगदीश तुम्हारे नित करता। पद वंदन जगदीश तुम्हारे नित करता।