कभी काले-काले मेघा नभ पर छाए कभी तारक वृन्द नभ में खिल जाए कभी छाई दूधिया चन्द्रिका धरा पर कभी छा... कभी काले-काले मेघा नभ पर छाए कभी तारक वृन्द नभ में खिल जाए कभी छाई दूधिया चन्द...
बादल गड-गड कर के बरस जा, यहीं प्राप्थना इस कविता में की गई है... बादल गड-गड कर के बरस जा, यहीं प्राप्थना इस कविता में की गई है...
अब तो ठंडी ठंडी बहे बयार तुम जल्दी बरसा दो जलधार अब तो ठंडी ठंडी बहे बयार तुम जल्दी बरसा दो जलधार