सखियां मिलजुल कजरी गावें, भैया-बहन मिल सावन मनावें, सखियां मिलजुल कजरी गावें, भैया-बहन मिल सावन मनावें,
बादल गड-गड कर के बरस जा, यहीं प्राप्थना इस कविता में की गई है... बादल गड-गड कर के बरस जा, यहीं प्राप्थना इस कविता में की गई है...