"सावन गीत"
"सावन गीत"
बागन में झूला डरे,
मनभावन सावन आयो रे।
वन में मोर पपीहा बोलें,
दादुर मधुर कंठ रस घोलें,
झर-झर झरना झरें।
मनभावन सावन आयो रे।।
बागन में झूला डरे,
मनभावन सावन आयो रे।।
हरी-हरी दूब लगे प्यारी-प्यारी,
घर-घर में रोपी हैं सवनें क्यारी,
हम सब के भाग्य जगे।
मनभावन सावन आयो रे।।
बागन में झूला डरे,
मनभावन सावन आयो रे।।
सखियां मिलजुल कजरी गावें,
भैया-बहन मिल सावन मनावें,
राखी के रंग है नयें।
मनभावन सावन आयो रे।।
बागन में झूला डरे,
मनभावन सावन आयो रे।।
रिमझिम-रिमझिम मेघा बरषे,
काली घटा विच बिजली चमके,
नदी-नाले खूबै चढ़े।
मनभावन सावन आयो रे।।
बागन में झूला डरे,
मनभावन सावन आयो रे।।
घर-घर हो रहीं हैं रामायण,
आल्हा सुनवे में मनभावन,
देवालय सुन्दर सजे।
मनभावन सावन आयो रे।।
बागन में झूला डरे,
मनभावन सावन आयो रे।।
