सावन
सावन
1 min
315
नभ में सावन की बदली छाई
देख उसे धरा भी है मुस्काई
टकटकी लगाए कृषक निहारे
जल्दी बरसों जलधार प्यारे
सूखी धरती कर रही पुकार
थक गये नयन तेरा पंथ निहार
अब तो ठंडी ठंडी बहे बयार
तुम जल्दी बरसा दो जलधार
मोर, पपीहा, दादुर बोले
मन मयूर मस्ती में डोले
धरती ने ओढ़ी चूनर धानी
करे दामिनी भी मनमानी
रिमझिम फुहार बरसा देना
मुरझाए मुखड़े हर्षा देना
मस्ती में झूमें डाली -डाली
हर्षित पीपर पात बजायें ताली
बिछुडे प्रेमी हिय मिलाना
रंग बिरंगे सुमन खिलाना
गायेंगे मधुप भी मीठा गाना
हे! प्यारे सावन, जल्दी आना
