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Indu Kothari

Others

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Indu Kothari

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सावन

सावन

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नभ में सावन की बदली छाई

 देख उसे धरा भी है मुस्काई

 टकटकी लगाए कृषक निहारे

 जल्दी बरसों जलधार प्यारे

 

सूखी धरती कर रही पुकार

थक गये नयन‌ तेरा पंथ निहार

अब तो ठंडी ठंडी बहे बयार

तुम जल्दी बरसा दो जलधार 


मोर, पपीहा, दादुर बोले 

मन मयूर मस्ती में डोले

धरती ने ओढ़ी चूनर धानी

करे दामिनी भी मनमानी


रिमझिम फुहार बरसा देना 

मुरझाए मुखड़े हर्षा देना

मस्ती में झूमें डाली -डाली

हर्षित पीपर पात बजायें ताली


बिछुडे प्रेमी हिय मिलाना

रंग बिरंगे सुमन खिलाना

गायेंगे मधुप भी मीठा गाना

हे! प्यारे सावन, जल्दी आना


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