दो सिक्कों के लिए उसको गिरवीं रखते देखा है। दो सिक्कों के लिए उसको गिरवीं रखते देखा है।
राह किनारे पड़े शवों का , अंत वहीं हो जाता है। राह किनारे पड़े शवों का , अंत वहीं हो जाता है।
तुम जिसे अपनी सफलता कहते हो और जिसका बखान करते थकते नहीं हो दरअसल वह तुम्हारा बेरंग और निष्ठुर होना ... तुम जिसे अपनी सफलता कहते हो और जिसका बखान करते थकते नहीं हो दरअसल वह तुम्हारा बे...