शर्म है मुझको पुरुष होने पर, जो नारी की साख न जानी, वक़्त है अब दिखलाये क्यों है नारी, शर्म है मुझको पुरुष होने पर, जो नारी की साख न जानी, वक़्त है अब दिखलाये क्य...
इंकलाब बोल कर, झूल गया फाँसी पर, क्रांति रूपी काल बना, तुझको नमन है ,! इंकलाब बोल कर, झूल गया फाँसी पर, क्रांति रूपी काल बना, तुझको नमन है ,!
चला तो मैं भी गया था जाना तो तुझ को भी था। चला तो मैं भी गया था जाना तो तुझ को भी था।
विश्व का अभिशाप क्या अब नींद बनकर पास आया? अमरता सुत चाहता क्यों मृत्यु को उर में बसाना? जाग तुझको... विश्व का अभिशाप क्या अब नींद बनकर पास आया? अमरता सुत चाहता क्यों मृत्यु को उर म...
रखना दिल मे नहीं बेरुख़ी तू कभी! मुझसे होना नहीं है जुदा तू कभी. रखना दिल मे नहीं बेरुख़ी तू कभी! मुझसे होना नहीं है जुदा तू कभी.
यही चाहता था दिल मेरा कि छू कर तुझको प्यार करूँ। यही चाहता था दिल मेरा कि छू कर तुझको प्यार करूँ।