पर मैं अक्सर कर देती हूं नज़रअंदाज़ इनके तानों को इनके उलाहनों को पर मैं अक्सर कर देती हूं नज़रअंदाज़ इनके तानों को इनके उलाहनों को
नारी ही पूजा बाद में सब काम दूजा नारी ही पूजा बाद में सब काम दूजा
मैंने घूंघट जो उठाया चले तानों के सिलसिले मैंने घूंघट जो उठाया चले तानों के सिलसिले
अब ज़माने के इन तानों से, जान मेरी यूँ ही चली जाती है अब ज़माने के इन तानों से, जान मेरी यूँ ही चली जाती है
उसने भी बड़े जतन से संजोए रखा इस रंग को बचपन से यौवन तक उम्रभर के तानों के संग... उसने भी बड़े जतन से संजोए रखा इस रंग को बचपन से यौवन तक उम्रभर के तानों के...