काट दिया था किसी ने अंधेरी रात में चुपके से .. और झोंक दिया था होलिका दहन की अग्नि मे... काट दिया था किसी ने अंधेरी रात में चुपके से .. और झोंक दिया था होलिक...
मैंने देखा, पतझड़ में झड़ते हैं पत्ते, और फल - फूल भी छोड़ देते हैं साथ। बचा रहत मैंने देखा, पतझड़ में झड़ते हैं पत्ते, और फल - फूल भी छोड़ देते ह...
ठूंठ बन मैं खड़ा, अंचम्भित सा ठगा सा। ठूंठ बन मैं खड़ा, अंचम्भित सा ठगा सा।
हां! मगरूर हूं मैं एक धरोहर सा गुरूर हूं मैं क्योंकि झुका नहीं मैं. हां! मगरूर हूं मैं एक धरोहर सा गुरूर हूं मैं क्योंकि झुका नहीं मैं.
ठंडी शीतल छाँव में बैठा करते थे गाँव में ठंडी शीतल छाँव में बैठा करते थे गाँव में