क्या जरूरी है ऐसे वाहियात के लिए लेखकों के नाम पर बट्टा लगाना। क्या जरूरी है ऐसे वाहियात के लिए लेखकों के नाम पर बट्टा लगाना।
जीवन का सत्य - शून्य से उत्पन्न हो मनुष्य शून्य की गोद में ही समा जाता है। जीवन का सत्य - शून्य से उत्पन्न हो मनुष्य शून्य की गोद में ही समा जाता है।
अभी उगा है सूर्य धरा पर, अभी खिली है धूप। अभी उगा है सूर्य धरा पर, अभी खिली है धूप।
बुन लूँ उमंगों की चूनर, लगा लूँ माथे से धरा। बुन लूँ उमंगों की चूनर, लगा लूँ माथे से धरा।
जीवन के संग्राम में हम करें आभार उसी परमात्मा का। जीवन के संग्राम में हम करें आभार उसी परमात्मा का।
तुम बसे हो मुझ में, देह में दिल हो ज्यूँ मौन हर्फ हो चेतना के, कैसे समझाऊं तुम बसे हो मुझ में, देह में दिल हो ज्यूँ मौन हर्फ हो चेतना के, कैसे समझ...