तो कहीं किसी की मैयत सज रही है मेरी जीवन की यात्रा ! तो कहीं किसी की मैयत सज रही है मेरी जीवन की यात्रा !
कैसे समझाऊं इस दिल को, ये दिल रह रह कर दुखता है।। कैसे समझाऊं इस दिल को, ये दिल रह रह कर दुखता है।।
सजाके लाल जोड़े में, फेरे लिये थे थामे हाथ। उठे अर्थी जब मेरी तो- कांधा तुम भी लगा देना।। सजाके लाल जोड़े में, फेरे लिये थे थामे हाथ। उठे अर्थी जब मेरी तो- कांधा तुम भ...
उनकी उँगली पकड़कर ही, सीखा हमने चलना। मज़बूत इरादों ने ही सिखाया, गिरकर सम्हलना। उनकी उँगली पकड़कर ही, सीखा हमने चलना। मज़बूत इरादों ने ही सिखाया, गिरकर सम्हलना...