तेरा अस्तित्व न था ये स्वीकार करती हूँ हमने ही गलती की ये इकबाल करती हूँ, तेरा अस्तित्व न था ये स्वीकार करती हूँ हमने ही गलती की ये इकबाल करती हूँ,
कहीं देखा है तुमने उसे जो मुझे सताया करती थी, जब भी उदास होता था मैं मुझे हँसाया कहीं देखा है तुमने उसे जो मुझे सताया करती थी, जब भी उदास होता था मैं ...
सच यादें आबाद भी करती हैं बर्बाद भी करती है, सच यादें आबाद भी करती हैं बर्बाद भी करती है,
मुश्किलों से लड़ना बताती है जीना सिखाती हैं।। मुश्किलों से लड़ना बताती है जीना सिखाती हैं।।
आज खुद को गले लगा कर सोने को जी करता है, आज खुद को गले लगा कर सोने को जी करता है,
~~~~~फ़िलाबदिह ग़ज़ल ~~~~~ नब्ज़ धीमी है सांस भारी है.. ज़िंदा रहने की मश्क़ जारी है.. نبض ~~~~~फ़िलाबदिह ग़ज़ल ~~~~~ नब्ज़ धीमी है सांस भारी है.. ज़िंदा रहने की मश्क़ जारी...