एक पैगाम पाकिस्तान के नाम
एक पैगाम पाकिस्तान के नाम
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ऐ पाकिस्तान मैं ये अंतिम बार कहती हूँ
तुझे खबरदार करती थी,खबरदार करती हूँ,
तेरा अस्तित्व न था ये स्वीकार करती हूँ
हमने ही गलती की ये इकबाल करती हूँ,
पर अब तेरा अस्तित्व न होगा ये ऐलान करती हूँ
तेरे करतूतो को हर बार शर्मशार करती हूँ,
तेरे आतंक को अंकित बार-बार करती हूँ
गाँधी,नेहरु के वचनों का अभी तक लिहाज करती हूँ,
पर सुभाष,भगत के वचनों का वार आज फिर एक बार करती हूँ
साँभल जा अभी,आखरी बार तुझे खबरदार करती हूँ,
खबरदार करती हूँ।