उनके बिना, जब दुख की दरारें झेलनी पड़े मन के मकानों को मेरे, तब सन्नाटा चुभता कानों क उनके बिना, जब दुख की दरारें झेलनी पड़े मन के मकानों को मेरे, तब सन्नाटा चुभत...
यह मत सोच ,चल नहीं सकता एक बार कदम उठा कर देख. यह मत सोच ,चल नहीं सकता एक बार कदम उठा कर देख.
न होता एकाग्र मन तब, न दृष्टा का भाव आता है, न होता एकाग्र मन तब, न दृष्टा का भाव आता है,
सागर सा ज्ञान होता पुस्तकों में जो खत्म नहीं होता है, सागर सा ज्ञान होता पुस्तकों में जो खत्म नहीं होता है,