खूबसूरत है खेल बड़ा अनोखा अपनों की पीठ कोई छुरा नहीं मारता। खूबसूरत है खेल बड़ा अनोखा अपनों की पीठ कोई छुरा नहीं मारता।
मैंने किया प्रियतम को इत्तिला, जिसके बिन हो जाऊँ मैं शिला। मैंने किया प्रियतम को इत्तिला, जिसके बिन हो जाऊँ मैं शिला।
चैत्र वैशाख में होता है अलबेले आम का सुनहला स्वरूप साकार, पूरे सालभर रहता है जिसका बेसब्री बेताबी से... चैत्र वैशाख में होता है अलबेले आम का सुनहला स्वरूप साकार, पूरे सालभर रहता है जिस...
दमक रही ऋतु बेला, गगन भी गुलजार हुआ। दमक रही ऋतु बेला, गगन भी गुलजार हुआ।
एक भारत श्रेष्ठ सदा भारत गर्वित हम। एक भारत श्रेष्ठ सदा भारत गर्वित हम।
नये साल की आई बहुत शुभ बेला हृदय का नाच रहा मेरा अम्ब्रेला। नये साल की आई बहुत शुभ बेला हृदय का नाच रहा मेरा अम्ब्रेला।