सात वचन थे साथ निभाये, प्रेम की ऐसी रीत गढ़ी। मैं-तुम, तुम-मैं रहा नहीं कुछ, हम की ऐसी प्रीत... सात वचन थे साथ निभाये, प्रेम की ऐसी रीत गढ़ी। मैं-तुम, तुम-मैं रहा नहीं कुछ...
मन की गहराई में जाकर, हुई खुद की पहचान अब तक तो था मैं, अपने आप से ही अनजान मन की गहराई में जाकर, हुई खुद की पहचान अब तक तो था मैं, अपने आप से ही अनजान
आओ संकल्प करें, खुलकर हंसे हम हंसी न हो हमारी, झूठ, अधर्म, पाप की आओ संकल्प करें, खुलकर हंसे हम हंसी न हो हमारी, झूठ, अधर्म, पाप की
हर पल पर- हित का चिंतन करें, वे सब ही जन हैं सच्चे सुपर-मैन। हर पल पर- हित का चिंतन करें, वे सब ही जन हैं सच्चे सुपर-मैन।