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Dr Manisha Sharma

Others

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Dr Manisha Sharma

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ज़िन्दगी का खेल

ज़िन्दगी का खेल

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ज़िन्दगी की दौड़ अजीब सा खेल है

हार और जीत का अजीब सा मेल है

भागती है कभी तो कभी थम जाती है

ना जाने कैसी दुनिया की रेलमपेल है

किसी के सपनों में ऊँची उड़ानें हैं

किसी के अपनों में सिमटे जमाने हैं

कोई पैसा चाहे कोई चाहे प्यार

यहाँ पर सभी के अपने पैमानें हैं

कोई इस जहां में मस्ती से झूमे

किसी की ख्वाहिश आसमान को चूमे

जितने हैं चेहरे उतने ही तराने हैं

बदलती है तस्वीर ज्यूँ ही वो घूमें

है कोई यहाँ पर बड़ा एक खिलाड़ी

है कोई जहां की अदा से अनाड़ी

मगर ज़िन्दगी सबकी चलती यहाँ पर

कभी एक अगाड़ी कभी एक पिछाड़ी


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