" यह भी कोई बात हुई ? "
" यह भी कोई बात हुई ? "
ऐसी भी कोई बात हुयी ?
अभी अभी तो मित्र बने ,
फेसबुक के पन्नों पर
आपकी तस्वीर ठीक से
देखी भी नहीं पाया
आपके आग्रह को
भला कैसे ठुकराते ?
अपजश का ठीकरा
अपने सर क्यों फोड़ता ?
हम अहर्निश आपकी
खोज में लगे हुए थे !
आपकी प्रतिभाओं की
खोज आपके प्रोफाइल
में उलट पुलट करके
देखने लगे थे !
पर निराशा की लालिमा
हमारे भाल पर छाने लगी !
तूफान की सुगबुगाहट
मेरे रोम रोम को
उद्वेलित करने लगी !!
फिर भी आपके
दर्शन नहीं हुए,
कुछ दिनों के बाद
अनायास उनका एक
विचित्र पोस्ट आया!
किसी वीभत्स ग्रुप से
जुड़ने का रिक्वेस्ट आया !!
और तो और.. हठधर्मिता
की तब हद हो गयी
जब बिना पूछे हमें अनेको
ग्रुपों से जोड़ दिया !!
अब आप ही कहें
" यह भी कोई बात हुई ?"
