ये लड़के भी
ये लड़के भी
ये लड़के भी गज़ब का हुनर रखते है
वफ़ा करके भी बेवफा कहलाते है
हर दर्द छुपाकर आंसू अपने पी जाते है
रोने का हक़ भी नहीं इनको बस हँसते जाते है
सबकी परवाह करते है बस अपनी भूल जाते है
हमें देकर छाँव ये खुद धूप में तपते जाते है
हर ग़म को सीने से लगाकर सब सह जाते है
कहां बताते है किसी को अकेले घबराते है
पढ़ाई, नौकरी, कमाई के चक्कर में पीसते है
हर रिश्ते में इनके अरमान ही घिसते है
जख़्म इनके दिखते नहीं पर जख़्मी होते है
तन्हा रातों में आँसुओं से तकिया भिगोते है
हमें अपने अलको पलकों में बिठाते है
हमारे हर नख़रे को सर आँखों पे रखते है
कभी समझो इनकी भी ख़्वाहिशों को यारों
बहुत मासूम, नादान से ये लड़के होते है।