ये कह रही हूँ मैं
ये कह रही हूँ मैं
ये कह रही हूँ मैं फुरसत से बैठकर अपनी ही रचनाओं से,
एक जगह कैद होंगे मत रहना तुम खुले आकाश में उड़ान तुम!!
सिर्फ किताबों में ही मत मिलना तुम,
किसी की ज़िन्दगी के बदलाव का हिस्सा भी बनना तुम,
किसी के टूटे हौसले का किस्सा भी बनना तुम!!
ये कह रही हूँ मैं फुरसत से बैठकर अपनी ही रचनाओं से,
किसी के बहते हुए आँसू की हिम्मत भी बनना तुम,
किसी के खिलखिलाने का जरिया भी बनना तुम,
जो नाकाम हो गये है इन राहों में चलते चलते
उन्हें फिर से उठ खड़े होने एक हौसला मिला सके वो,
हौसला भी बनना तुम!!
ये कह रही हूँ मैं फुरसत से बैठकर अपनी ही रचनाओं से,
कोई क्या सोचेगा तुम मत सोचना किताबों में हो या किसी मंच में
तुम्हारा जहाँ दिल चाहे तुम दिल खोलकर अपने शब्दों को रखना बस!!
ये कह रही हूँ मैं फुरसत से बैठकर अपनी ही रचनाओं से,
नाकामी भी लिखना तुम, जीत भी लिखना तुम,
गर हार जाओ कभी तो अपनी हार का किस्सा भी लिखना तुम,
जो भी लिखना खुल कर बिना डरे लिखना तुम!!
ये कह रही हूँ मैं फुरसत से बैठकर…........
