यायावरी
यायावरी

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बादलों ने छोड़ दी आवारगी
छूटी न 'शिप्रा'की यायावरी
बादलों का लक्ष्य था सीमित
शिप्रा की मंज़िलें बन गई राहें
बादल आये बरसे और गए
मैं नदिया सी रुक नहीं पाती
शीतलता, जल फुहार जो तुझमें
मुझमें भी है पर दिख नहीं पाते
तू गरजे तो बिजली दमके
मैं रूठूँ तो कहाँ वो मनाते।
तू छोड़ दे भले ही अपनी आवारगी
मैं नहीं छोड़ सकती यायावरी।