यादों में सर्द है!
यादों में सर्द है!
मेरी यादों में अब भी, उसी तरह सर्द है, ठंड की वो रात!
डर करके जिससे, सितारों ने भी छोड़ दिया था आसमाँ का साथ!
मेरी यादों में अब भी उसी तरह सर्द है, ठंड की वो रात!
ऐसी ठंड में अकेला, आधा तन ढ़ँके, चिथड़ों में वो कंपकंपा रहा था!
फिर भी ना जाने किसकी शक्ति के सहारे वो चला जा रहा था!!!
शायद किसी ने उसे बताया ना हो कि ये ठंड का मौसम है वो ढ़क ले तन को!
वैसे भी किसे फुर्सत है जो देखे। परवाह करे और ढ़कने की सोचे उस बच्चे के बदन को!!!
सर्द मौसम को भी अच्छा मौका मिला था अपनी ताकत को आजमाने का!
लुत्फ मिल रहा था उसे भी, उस नन्हीं जान को ठंड की आग में जलाने का!!!
मैने देखा उसे और सोचा, कि दे दुँ उसे अपने बदन का शाल!
फिर आया मन में, या उस शाल के महंगे होने का खयाल!!!
चाहा कि दे दुँ उसे कुछ खाने को और डाला हाथ जेब में कुछ पाने को!
मिला दस का नोट, पर मन मसोस कर रह गया, क्युँकि वही दस रुपया बचा था अगरबत्ती लाने को!!!
फिर जो उठे मेरे कदम तो फिर ना रुके और बढ़ते गए घर की राहों में!
वो दूर तक तकता रहा मुझे, लौट कर वापस आने की, आस लिए निगाहों में!!!
दुसरे दिन फिर से गुजरा उसी राह से, पर आज पहले से सर्दी थी थोड़ी क्षीण!
कुछ पग चला और देखा एक चबूतरे के पास लगी थी कुछ लोगों की भीड़!!!
चीर कर भीड़ को अंदर गया और देखा ये तो वहीं था पर था एकदम शांत!
बर्फ की परत ने ढ़ँक दिया था इंसानियत के नंगेपन को और सो गया था वो हमेशा के लिए, एकदम धीर!!!
बहुत पछताया और सोचा अगली बार अवश्य करता मैं मदत!
पर ये तो तय था कि, फिर से ना होनी थी मुलाकात!!!
मेरी यादों में अब भी, उसी तरह सर्द है, ठंड की वो रात!
डर करके जिससे, सितारों ने भी छोड़ दिया था आसमाँ का साथ!
मेरी यादों में अब भी उसी तरह सर्द है, ठंड की वो रात!!!