यादों का खजाना
यादों का खजाना
मन के कोने में मिला यादों का खजाना,
एकांत में पड़ा था वो यादों का पिटारा,।।
कुछ यादें ऐसी भी थी जिन्होंने आँखें नम कर दी,
कुछ यादों ने होठों को मुस्कुराहट दे दी,
सहसा उन यादों को मैने सीने से लगा लिया,
यादों के खजाने ने मुझे आज अमीर बना दिया,।।
मन के कोने में मिला यादों का खजाना,
एकांत में पड़ा था वो यादों का पिटारा,।।
कुछ पुराने खत भी मिले,
मानो सियाही में डूब वो पल वापस मुझे मिले,
उन खतों में एक भीनी सी खुशबू थी,
उस खजाने में मेरी यादें आज भी जीवित थी,।।
मन के कोने में मिला यादों का खजाना,
एकांत में पड़ा था वो यादों का पिटारा,।।
अपनी झोली में मैने आज वो बीती कहानियां भर ली,
आज मैने अपनी बीती वो राहें फिर जी ली,
आज लगा एक सुनसान सफर को मैं निकली थी,
ऐसा लगा किसी चित्रकार ने मेरी यादों की एक चित्रकारी रची थी,।।
मन के कोने में मिला यादों का खजाना,
एकांत में पड़ा था वो यादों का पिटारा,।।
काले अंधकार में वो यादें आज चंद्रमा की भांति लग रही थी,
लालिमा से युक्त भोर की पहली किरण सी लग रही थी,
अचानक मेरी निंद्रा कांच की भाती टूटी,
जब निंद्रा टूटी तब ना खजाना था यादों का ना ही कहीं यादें थी।