वसंत उत्सव
वसंत उत्सव
1 min
367
पतझड़ का हुआ अंत
आया अब वसंत।
छेड़ी प्रकृति ने सुरो की तान
गूंज उठा भवरों का गान।
झूम उठा जंगल सब संग
डूब गए हैं सब अपनों के रंगों में रंग ।
तन मन में उठी नई उमंग
आई जीवन में तरंग।
सबको सबका साथ है
वसंत में यही तो कुछ खास है।