Shailaja Bhattad
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पतझड़ का हुआ अंत
आया अब वसंत।
छेड़ी प्रकृति ने सुरो की तान
गूंज उठा भवरों का गान।
झूम उठा जंगल सब संग
डूब गए हैं सब अपनों के रंगों में रंग ।
तन मन में उठी नई उमंग
आई जीवन में तरंग।
सबको सबका साथ है
वसंत में यही तो कुछ खास है।
हे प्रभु
जय जय श्रीराम...
राम- भरत
श्री राम- भरत
हिन्दी नारे
श्रीराम
होली है
फूलों की होली
कान्हा होली म...
होली