वो हँसी
वो हँसी
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वो हँसी बहुत कुछ कह गयी
राज़ को फिर राज़ ही रख गयी
कुछ जादू सा था उन आँखों में
ख़ामोश जुबां भी फिर बोल गयी
ज़रा सा संभल कर चलना था
वो बिन चले ही संभाल गयी
पर मैंने तो ये ही है जाना
कि ज़िन्दगी में किसी का आना
मक़सद एक ही रखता है
जो सिखाना हो, वो सीखा कर ही रहता है
पर किसी उधेड़बुन में ही सही
वो बात जुबां पे आ ही गयी
लेकिन वो हँसी फिर लौट ही आयी
राज़ को फिर राज़ ही रख पायी !!
