वो बचपन वाले दिन
वो बचपन वाले दिन
खोज रहा हूँ नटखट वाले
अनबन वाले दिन
किधर खो गए मेरे प्यारे
वो बचपन के पल गिन गिन।
हाथ में रस्सी लिए चला था
थोड़ी माँ से फिर कहा था
खेल खेल में जाने को मैं
माँ से कितनी बार कहा था।
हाथ में डंडा और टायर थे
पगडंडी में सब करते फायर थे
धूल से महल झट बन जाता था
खुशियों की बारिश होती रिमझिम
किधर खो गए मेरे प्यारे
वो बचपन के पल गिन गिन।
पीठ बस्ता लाद चला था
बाल से तेल टपक चला था
एक हाथ से पैन्ट को पकड़े
एक हाथ में टिफिन,
किधर खो गए मेरे प्यारे
वो बचपन के पल कमसिन।
बारिश में खूब नाव चलाते
इधर उधर से हिचकोले खाते
मन ही मन में डर लगता था
कहीं ढल न जाये दिन
किधर खो गए मेरे प्यारे
वो बचपन के पल गिन गिन
नीम के सीक से खूब बनाते
कंगन ,बाला, झुमका ,नथिया
बड़े प्यार से खूब सजाते
गुड्डे गुड़िया और सखिया,
झूठ मुठ के सब खा लेते
पेट भी खूब भर जाता ,
घर आते ही भूख न जाने
क्यूँ लगती थी छिन छिन,
किधर खो गए मेरे प्यारे
वो बचपन का पल गिन गिन।
