विदाई समारोह
विदाई समारोह
( 1 )
30 जून का वो दिन था
कई दिन साथ रहकर
घर रवाना हुए तो तब
सब का मिलन समारोह था!!
रात को मिलकर बैठे थे
आपस में बातें कर रहे
एक दूसरे को विदाई दे रहे थे
वो दिन ही खास लग रहा था
सब मिलकर अपनी बातें बता रहे थे
एक एक कर अपनी शुभ कामना दे रहे
सब हो रहे थे रवाना घर की ओर क्योंकि
वो ट्रेनिंग का अंतिम दिन था
सब से मिल कर सब सामान समेट रहे थे
किसी को न पता था कब मिलेंगे पर
मिलेंगे जरूर ये आस बनी थी
सब एक दूसरे को देख रहा था
मैं उस जगह को बार बार देखा था
सब दोस्तों से मिला और घर चल दिया
सब के चेहरे पर खुशी और मन में खामोशी थी
न जाने कब वापस मिलेंगे कोई पता न था
( 2 )
फिर द्वितीय ट्रेनिंग आ गई
लेकिन उसमें ही दो पारी बनाई
जिसमें सब नहीं मिल पाए
कुछ ही मित्र मिले ओर खुशी मनाई
फोन पे तो रोज बात होती है।
पर वो मस्ती और मजा नहीं है
सब में अद्भुत प्रतिभा थी
हाथों से स्पर्श कर सफलता पाई
उन खुशहाल दिनों में कंप्यूटर शिक्षा पाई।