वह सुबह
वह सुबह
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काले बादल का आंँचल जब ढलकेगा..
आशाओं की लहरों का सागर छलकेगा..
उस अनोखी सुबह की सिंदूरी लालिमा..
छटती रहेगी काली रात की कालिमा..
इंद्रधनुषी सी सूरज की रंग बिरंगी रंगोली..
कलरव कुंजन करती उन परिंदों की टोली..
झूम रहा हर नग पर्ण पत्ता केसर की डाली..
खिलखिला रहे हर पुष्प फूल रजनीगंधा की हमजोली..
महक रहा धरती पर जिंदगी का हर हसीन पल..
बहते जा रहे सुनहरी यादों के अनवरत कल कल...