वैरागी
वैरागी
कर ले तू वैरागी जीवन शान्त हो जायेगा तेरा मन
बन के खिलेगा तू उपवन में सुन्दर सा सतरंगी सुमन
मन को तू एकाग्र कर मस्तक में तू ध्यान धर
जो चाहेगा कर पायेगा सिर्फ खुद को अनुशासित कर
भोलेनाथ की छाया में मन की गहराई से
झांक ले तू खुद के अंदर दूर रह दुनियादारी से
देखा तूने वो वक्त भी जब रोया तू लाचारी से
कोई नहीं था साथ तुम्हारे सिवा भोला भंडारी के
रोये थे शिव भी बहुत किए थे तांडव भारी
आत्महत्या जब सती ने की देह जल गई सारी
लिए फिरते देह सती की बेसुध हुए भोले भंडारी
सुदर्शन ने किए 51 टुकड़े मिटा दी सती की याद सारी
भोले फिरते इधर उधर बेसुध हो जैसे कोई संसारी
सती की यादों को साथ लेकर फिर बन गए वैरागी
किसी से कुछ न मतलब रखते लगा ली अनोखी समाधि
अंतस में फिर उपजा तेज शिव है तो क्या हुआ
कर नहीं सकते वो दुखो से परहेज।
