वास्ते
वास्ते
1 min
439
उन्हें वक़्त चाहिए था
मोहब्बत समझने के लिए
काश! एक कोशिश उनकी होती
हमें समझने के लिए,
हम दोनों नादान थे
या बस अनजान थे
अपनी अपनी जगह
हम दोनों ही समझदार थे,
कुछ सुना था हमने
कि लोग सही मिलते हैं
मगर इस कमबख्त वक़्त से
हमारे ख्यालात नहीं मिलते हैं,
कैसे उलझ से गए हैं ये एहसास
इन दोस्ती की तारों में
कि आजकल कुछ बनती नहीं
दो पुराने यारों में,
बदल कर अपने रास्ते
हम खामोशी के रास्ते चले
उन्हें मालूम नहीं कि हम
उनसे दूर, उनके ही वास्ते चले!