उस एक पल में
उस एक पल में
एक क्षण पहले जब मैंने देखा आईना,
यौवना कोई खड़ी थी मेरे समक्ष,
इस पल में बीते है कई दिन कितने वर्ष।
एक बेटी, बहू, पत्नी और माँ,
जाने कितने संबंध जिये है मैने,
उस एक पल में।
आज जब ढल रही है जिंदगी की साँझ,
तो देखा है अपनो को बदलते हुए,
उस एक पल में।
चिरैया उड़ गए अपने अलग घोसलों मे,
कमजोर पड़ गए मेरे पंख,
उस एक पल में।
संभालकर चलाई थी गाड़ी जिस घर की,
गाड़ी के पहिये बदल गये,
उस एक पल में।
कभी जो आसमान से भी ऊंची थी,
वो सोच पुरानी हो गई,
उस एक पल में।
सपनों से भरी थी जिंदगी,
सपने हुए बेगाने,
उस एक पल में।
अब देखती हूँ उस पल में झांककर,
मैं तो वही कैद रह गई,
उस एक पल में।
आज तक जी रही हूँ दूसरो की जिंदगी,
मेरी जिंदगी तो वही बंद हो गई,
उस एक पल में।