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Archana kochar Sugandha

Others

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Archana kochar Sugandha

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उनके आने से

उनके आने से

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जिनके आने से मेरे वीराने जीवन की 

फिजाएं खिल उठती थी

दिल की हसरतें, 

दिल से मिल उठती थी

कहाँ लुप्त हो गई हैं वह हस्तियाँ 

सांझे होते थे जिनसे सुख-दुख और मस्तियाँ।


कुछ तो चिर निंद्रा में सो गए 

कुछ वक्त की माँग में खो गए हैं 

दिल की दिल से तकरार रहती है 

मिलन की कसक बरकरार रहती है।


गाहे-बगाहे कभी जिंदगी के 

किसी मोड़ पर टकरा जाते हैं 

होठों पर फीकी मुस्कान से 

केवल मुस्कुरा जाते हैं।

समयाभाव का रोना रोते हैं 

यारों, चैन की नींद हम भी कहाँ सोते हैं।


एक दिन यारों की खातिर 

समय से बगावत कर आए

दौड़ती-भागती, 

जिंदगी की आपाधापी में 

खर्च होने वाले सबसे कीमती वक्त के 

दो पल चुरा लाए। 


दिल फेंक आशिक की तरह 

उन्हें यारों की महफिल में लुटा आए।

उनके आने से जिंदगी की वीरान महफिल 

फिर से गुलज़ार हो गई

दोस्ती के उजड़े चमन में

दिल, जान और दोस्ती की रंगीन बहार हो गई ।



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