उड़ान
उड़ान
ये अपना अपना नसीब है
कोई चांद बनकर चमक गया
कोई खाक बनकर बिखर गया
कोई रास्ते में अटक गया
कोई रास्ते से भी भटक गया
और तो और
तथाकथित शुभचिंतकों के फेर में
कोई गंतव्य पहुंच कर भी
वापस धरा पर लौट गया
ये वक्त वक्त की बात है
ये अपना अपना नसीब है
हर एक शख्स की यही कहानी है
थोड़ी सी कड़वी पर रुहानी है
मुमकिन है जिंदगी के किसी मोड़ पर
अतिक्रमण हो जाए आशियाना आपका
पर न घबड़ाना है और न ही विचलीत
है यदि हुनर और हौसले
तो बन जायेंगे
फिर से एक सुंदर सा घोंसले
सार-ए-जिंदगी यही है राज
लेकर सांस जोर से
उड़ान फिर से भर देना है
हो न भ्रमित किसी के बातों से
अबकी बार रुकना है गंतव्य के उस पार
ये अपना अपना नसीब है
कोई चांद बनकर चमक गया
कोई खाक बनकर बिखर गया
कोई रास्ते में अटक गया
कोई रास्ते से भी भटक गया
ये वक्त वक्त की बात है।
