उड़ान
उड़ान
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रुका नहीं झुका नहीं
थका नहीं हारा नहीं ,
शपथ ली है शान से
कर्मठता मेरा काम है,
उतंगता के शिखर पर
देश को उपर उठाऊँगा,
हार जीत का खौफ़ नहीं
मौत को सर लिये घूमता हूँ ,
सियासत का खेल समझते
बीती है जवानी ,
दुश्मन देश खामोशी को
दहाड़ समझो मेरी ,
चाहो जो आराम से सोना
और कुछ समय दो ,
हौसला अभी परवान चढ़ा है
काटो न पतंग को,
देखो मेरी चाल को
समझो मेरे परवाज़ को ,
जितना ही मैं फैलाना चाहूँ
फैलाने दो मुझको,
देश को ऊपर ले जाने की
अभी उड़ान बाकी है॥
