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Geeta Upadhyay

Others

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Geeta Upadhyay

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उड़ गए तोते

उड़ गए तोते

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सूरज की पहली किरण अबकी बार ऐसी निकली

खुशियों के परिंदे चहचहा उठे

ख्वाबों की तितलियां उड़ने लगी

मन मयूरा नाचने लगा

पीली पड़ी मुरझाई सी तमन्नाओं की पत्तियां

फिर से हरी होकर मुस्कुराने लगी

खिल्ली उड़ाया करते थे जो कभी

आज यू देख कर मुझे उनके भी

"उड़ गए तोते"।




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