तू दुख में है
तू दुख में है
कोई साथी तलाश न कर
कोई साथ नहीं देगा
अकेला सफर कर
कि तू दुख में है
सुख होते तो निकल आते
बिलों से, घरों से, पेड़ों से,
न जाने कहाँ कहाँ से तेरा साथ निभाने
तेरे सुखों का मजा लूटने
अब कोई नहीं आएगा
जो भूले से टकरा भी गया कोई
तो नजर चुराकर,
राह बदलकर निकल जाएगा
अकेला बसर कर कि तू दुख में है
माना कि दुख के दावानल में
सख्त जरूरत होती है
दिलासा देने वाले के कंधों की
हमदर्दी के बंदों की
किन्तु दुख की गली में नहीं
झाँकती आंखें भी अंधों की
जरूरत नहीं दुनियाँ को तुम्हारे
जैसे जरूरत मंदो की
बहरा है वक़्त, फ़रियाद न कर
कि तू दुख में है
जो सिखा दे सबक, वही दुख सच्चा
जो झूठा सहारा दे
वो दुख कपटी और कच्चा
जो मिटा मिटा कर बना दे
जो समझ को और घना दे
जो अकेलेपन में रमा दे,
सड़ा दे, गला दे, जमीन से मिला दे
फिर बीज़ में वृक्ष का हुनर दे
ऐसे हुनरमंद की कद्र कर
थोड़ा सब्र कर
कि तू दुख में है।