तुम्हारी तरह
तुम्हारी तरह
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बिल्कुल तुम्हारी तरह, बन जाना चाहती हूँ मैं,
जिसे न मिलने का उल्लास, न बिछड़ने का ग़म,
न किसी से वादा करने की ख़ुशी..
न निभा न पाने की कोई तकलीफ़..
न किसी से प्यार न किसी का इंतज़ार...
जहाँ पर रहना वहीं का हो जाना
न किसी की याद न किसी का दर्द..
मस्त रहना हर हाल में
खुश रहना अपने आप में
बिल्कुल तुम्हारी ही तरह बन जाना चाहती हूँ मैं ...