STORYMIRROR

Dr Baman Chandra Dixit

Others

4  

Dr Baman Chandra Dixit

Others

तुम बिन(३)

तुम बिन(३)

1 min
246

तुम बिन (अंतिम कड़ी)


तुम बिन भाए ना शाम, साँवरे

तुम बिन भाए ना रैन।

क्यों छोड़ गये ब्रज धाम, साँवरे

तरसे दरस को नैन।।


गागरी काख रख गोपका कामिनी

जावत यमुना पानी भरन भामिनी

बार बार देखत चकित चपल नैन

मारिबे कंकर घनश्याम, साँवरे

तरसे दरस को नैन।।


छल-छल छलकत भरी गागरी 

भिगत जात चोली भिगत चुनरी

मृग-नयनी बिलोके कुंज-कुंज मोहे

देखत होई श्यामघन, साँवरे

तरसे दरस को नैन।।


मन ही मन सोचत तोर प्यार 

नैनन में राजत लाज अपार

रंग अनारी भयो गोरे-गोरे गाल

खोजत तोर छुअन, सावँरे

तरसे दरस को नैन।।


धड़क धड़क हिया करत बेज़ार

फड़के दायीं नैन काहे बार बार

आइबे क्रूर अक्रूर रथ लेउटाई

पछिमे की उदिहे अरुण, साँवरे

तरसे दरस को नैन।।


जी लूं जिंदगी सै , तू साथ अगर

ये जीना भी क्या जीना तेरे बगैर

चलत जो साँसे नाथ अमानत तेरी

घेना करो समर्पण, साँवरे

तरसे दरस को नैन।।



Rate this content
Log in