तुम अटल थे अटल ही रहे
तुम अटल थे अटल ही रहे
तुम अटल थे अटल ही रहे
अंत तक ध्रुवतारे, की तरह।
भारतीय राजनीति की
उठा-पटक, जोड़-तोड़ को
ना स्वीकारा, ना करने दिया।
जीवन में प्रभू, राम की तरह
राजनीति में मर्यादा व
शुचिता को स्थान दिया।।
होम किया अपना जीवन
देश व जनता के लिए।
अन्याय, असमानता की खिलाफत की
शोषितों के मसीहा बन
जिया, सिर्फ देश के लिए।।
तुमने हमेशा मान, बढ़ाया देश का
अपने कर्मों और विचारों से।
निर्भीकता, स्पष्टता व सत्यता का
दामन न छोड़ा, राज की नीतियों से।।
तुम रहे जितेन्द्रिय योद्धा न
झुकने ना, समझौता करने वाले।
बन दर्पण चेहरा दिखाया, नेताओं को
कथनी करनी में, भेद न करने वाले।।
विश्व में मान बढ़ाते
सदैव ही तिरंगे का।
भाषा, जात, मज़हब को
समान समझ परचम लहराया
भारतीयता का।।
कोटिशः नमन वंदन, तुम्हें हमारा
गुणों के हिमालय रहे तुम।
न हुआ ना होगा, तुम जैसा लाल
सदियों दिलों पर राज करोगे तुम।।
तुम अटल थे अटल ही रहे
अंत तक ध्रुवतारे की तरह।।