ठिठुरते होंगे कभी
ठिठुरते होंगे कभी

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सूरज की तरह तुम
चाँद सी मैं
रहते हैं एक ही गगन में
देख नहीं पाते एक दूजे को
तुम्हारे तेज में
तपती हूँ मैं हर पल
तुम भी तो ठिठुरते होगे
मेरी शीतलता से कभी-कभी