टेंशन
टेंशन
भरी जवानी में जब हुआ त्रस्त,
वैध, हकिम के साथ हुआ व्यस्त।
अॅलोपैथी, होमियोपैथी और आयुर्वेद से नाता जोड़ा,
कोई तो पैथी करेगी असर थोड़ा।
एक्स रे, एमआरआय किया, निक्ली ना कोई बीमारी।
न जाने कितने किए टेस्ट, सभी प्रयास हुए वेस्ट।
भूख मरी, भ्रष्टाचार, दंगे, बलात्कार और बेरोजगारी,
आज-कल हो गई सामान्य राष्ट्रीय बीमारी।
आज के जवानों को इन से नहीं होती कोई किरकिरी,
क्योंकि की राजनीति के लिए है चुनावी बीमारी।
सभी को होने लगी हैरानी,
सोचने लगे कौन सी हैं ये नई बीमारी।
सभी ने दिया स्पष्टीकरण,
आपको है बीमारी टेंशन ।
इसका कोई पैथी में नहीं हैं उपचार,
स्वयं आप ना करें उसके साथ हाथ दो चार।
टेंशन का ना मिला कोई कारण,
इसे मिटाने का कोई नहीं वैध के पास साधन।
अगर विज्ञान नहीं करता नये – नये खोज,
फिर मनुष्य क्यों, सोचता नई बात रोज।
ना विज्ञान खोजाता, ना मनुष्य सोचता,
भौतिक साधनों से मानव होता अनजान।
ना दिल, ना दिमाग होता परेशान,
फिर मनुष्य कभी नहीं खोता अपना अवधान।
