STORYMIRROR

Deepu Bela

Others

3  

Deepu Bela

Others

टेलीफोन..!

टेलीफोन..!

1 min
316

टपाल और तार के जमाने में

बन के फरिश्ता वो आया था

लोगो ने भी बड़े शौक़ से उसको आजमाया था।


आके उसने हर एक रिश्ता संवारा था

उस बूढ़ी मां के खतों का जवाब बनके आया था

उस मां को अपने बच्चे से उसने मिलाया था

जब बजती थी घंटी उसकी 

मानो बेटा घर पर आया हो, और

आके उसने डोरबेल बजाया हो।


वो था तार से बंधा हुआ पर 

उसने सबको आजाद किया था

दूर बैठे भी सबको एकसाथ किया था

पास होने का एहेसास दिया था।


आज जबसे टेलीफोन हुआ पराया है

स्मार्टफोन ने अपना राज जमाया है,

बरबादी का दौर हर ओर छाया है

हर रिश्ता हुआ पराया है

आज बंध गया हर इंसान है उस चार्जर की डोर से

मर गई है मानवता हर ओर से।


Rate this content
Log in