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Jyoti Khare

Others

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Jyoti Khare

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तपती गर्मी जेठ मास में

तपती गर्मी जेठ मास में

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अनजाने ही मिले अचानक 

एक दोपहरी जेठ मास में 

खड़े रहे हम बरगद नीचे 

तपती गरमी जेठ मास में-


प्यास प्यार की लगी हुयी

होंठ मांगते पीना 

सरकी चुनरी ने पोंछा 

बहता हुआ पसीना 


रूप सांवला हवा छू रही 

बेला महकी जेठ मास में--


बोली अनबोली आंखें 

पता मांगती घर का 

लिखा धूप में उंगली से 

हृदय देर तक धड़का 


कोलतार की सड़कों पर  

राहें पिघली जेठ मास में---  


स्मृतियों के उजले वादे 

सुबह-सुबह ही आते 

भरे जलाशय शाम तलक 

मन के सूखे जाते 


आशाओं के बाग खिले जब 

यादें टपकी जेठ मास में-----



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