तेरा ही इंतज़ार
तेरा ही इंतज़ार
खड़ा हूँ मैं मेरे घर की छत पर,
शाम का नजारा मैं देख रहा हूँ,
आसमान में उड़ते पंछियों का,
मधुर तराना मैं सुन रहा हूँ ।
मौसम हसीन आई है बहारों की,
गुलाबी ठंडी की मौज ले रहा हूँ ,
खीली हुई मधुर शीतल चांदनी की,
किरणों से मैं मदहोश हो रहा हूँ ।
दूर उद्यान में लहराते पुष्पों की,
महक से तरबतर मैं बन रहा हूँ ,
मंद मंद बहते शीतल समीर से मैं,
खुशियों के ख्वाबों में खो रहा हूँ ।
अद्भुत माहौल बन गया है सनम,
तेरी ही कमी महसूस मैं कर रहा हूँ,
आजा ओ मेरी बांहों में "मुरली",
तेरा ही इंतज़ार मैं कर रहा हूँ ।