सवालों के कहकहे
सवालों के कहकहे
हद
दायरा
क़ैद
Limits
जुर्रत
बेड़ियाँ
Control
चारदीवारी
इन सबको क्या कहते हो तुम?
क्या सिर्फ शब्द है ये?
क्या समझूँ इन्हें मैं?
इनका कौन कौन सा अर्थ समझाना चाहते हो तुम मुझे?
इन दायरों को
कभी तुम मोहब्बत का नाम देते हो
कभी मेरी आजादी को मेरी हद कहते हो
मेरे ख़यालों को क्यों क़ैद करना चाहते हो तुम?
मेरी हिफाजत के लिये हमेशा चारदीवारी का वास्ता क्यों देते रहते हो?
मेरी limits को कौन से शब्दों में बाँधना चाहते हो तुम?
मेरी हर उड़ान को तूम control क्यों करना चाहते हो?
अक्सर हैरान होती रहती हुँ मैं
इन सवालों के जबाब ढूँढने की मैं जुर्रत क्यों करती रहती हुँ?
यह सवाल जब तब मुझसे सवाल करते रहते हैं
और मुझे खामोश और सहमा देखकर कहकहे लगाते हैं....