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LALIT MOHAN DASH

Romance

4  

LALIT MOHAN DASH

Romance

सुंदर सुरीली कविता

सुंदर सुरीली कविता

1 min
542



ऐसे मेरे मेहबूब तुम

मेरे साथ साथ ही

रहती हो 

काया के साथ साया जैसी


तू मेरे सांसों में घुल कर

रहती हो धड़कन बन कर

तो फिर तुझे भूल जाने का 

सवाल उठता है कहां ?


फिर भी कभी कभी

तेरी यादें 

बेकरार करती है मुझे

सोने नहीं देता ठीक से

जागने भी नहीं


जागते हुए सोता हूं मैं

सोते हुए जागता हूं

हर पल , हर लम्हा

तेरी ही नाम लेता हूं


मीठी मीठी खुशबू जैसे

तेरी यादें 

मेरी सांसें में भर जाती है


तब मेरे यार !

मैं खुद से खोने लगता हू

फिर मुझसे मेरा मिलन 

भी होता है

और तू मेरी जान !

आ जाती है मेरे सामने 

बन कर एक सुंदर सुरीली कविता।


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