सुंदर सुरीली कविता
सुंदर सुरीली कविता
ऐसे मेरे मेहबूब तुम
मेरे साथ साथ ही
रहती हो
काया के साथ साया जैसी
तू मेरे सांसों में घुल कर
रहती हो धड़कन बन कर
तो फिर तुझे भूल जाने का
सवाल उठता है कहां ?
फिर भी कभी कभी
तेरी यादें
बेकरार करती है मुझे
सोने नहीं देता ठीक से
जागने भी नहीं
जागते हुए सोता हूं मैं
सोते हुए जागता हूं
हर पल , हर लम्हा
तेरी ही नाम लेता हूं
मीठी मीठी खुशबू जैसे
तेरी यादें
मेरी सांसें में भर जाती है
तब मेरे यार !
मैं खुद से खोने लगता हू
फिर मुझसे मेरा मिलन
भी होता है
और तू मेरी जान !
आ जाती है मेरे सामने
बन कर एक सुंदर सुरीली कविता।