*सुबकती रही --वह*
*सुबकती रही --वह*
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आज फिर आया है
तारीख आठ मार्च का
इस दिन को मनाते हैं --हम
विश्व महिला दिवस के रूप में
और ...
करते हैं सम्मान--दिवस के उजाले में
पहनाकर हार और शॉल उनको --पर
रात के अंधेरे में करते हैं --उपयोग
हवस की ज्वाला को शान्त करने में
क्योंकि ,वह एक नारी थी --परन्तु
सुबकती रही --सिसकती रही वह
अंधेरे में ,जहां साथ छोड़ जाती है
परछाई भी ....
अपनी व्यथा को कहे किससे वह
जिसे मारा था --कोख़ में अपनी
क्योंकि वह एक -- स्त्री -- थी
बचाने को समाज में भेड़ियों से
सुबकती रही --सिसकती रही
खून के आंसू
क्योंकि ,वह एक नारी थी ....|
