स्तुति
स्तुति
1 min
253
सरस्वती वीणा वादिनी मां
अमृत मय रस जग भरें।
मधुर मधुर वाणी मधुमय कर,
कंठों राग कर्णप्रिय धरे।
देदे दृष्टि वह अनंत मुझको
देखूं आदि और अनंत को
कल्पना में गूजें सवाल कुछ
मिले जवाब शीघ्र मुझको।
तेरी कृपा से धनी हम हुए
कलमें पस्तकें रंग गयीं
ऐसा रंग मसि भर चलो माँ
अक्षर,अक्षर में अमृत घुले।
