सर्दी की शाम है
सर्दी की शाम है
कितनी खूबसूरत आज की शाम है
दिल में थोड़ा सा आराम है।
मौसम नरम है
ठंड का बरस रहा कहर है
फिर भी कितनी खूबसूरत आज
सर्दी की जो शाम है।
हवा जरा कड़क है
नहीं कोई लचक है
थोड़ी – थोड़ी कँपकँपी है
फिर भी खूबसूरत
आज की शाम है
क्योंकि दोस्तों ,ये
सर्दी की जो शाम है।
काम बहुत कर चुका हूँ
दिल से अब थक चुका हूँ
लेने को सुकून मैं
घर से निकल चुका हूँ
लुप्त उठाना है मुझे
सर्दी की जो शाम है
दिल में थोड़ा सा आराम है।
रोज – रोज के काम से
कर ली मैंने पहले अपनी छुट्टी है
मजा है इस मौसम में
सर्दी की जो शाम है।
थोड़ी सी कँपकँपी है
पर नहीं कोई हड़बड़ी है
होंठ जरा शुष्क है
फिर भी बदन को
मिल रहा आराम है
ओह सर्दी की जो शाम है।
घर से आज खुद बेघर हूँ
सर पर खुला आकाश है
धीरे -धीरे गिर रहा ओस है
फिर भी , आ रहा मुझे मजा है
सर्दी की जो शाम है।
मीठी - मीठी शरद शांत हवा है
नहीं कहीं कोई धुआँ है
घर से बाहर होने का
सच में यार ,आज मजा है
थोड़ा ठिठुरने की सजा है
सर्दी की जो शाम है।
दांतों में लग रही कंपन है
फिर भी सर्दी का अलग मजा है
ले -लो तुम भी मजा ये
सर्दी की जो शाम है।
अब चलते है वापस घर को
होने को अब रात है
सर्दी अब कुछ ज्यादा लगने लगी
बहुत मिला सुकून है
अब ठिठुरने वाली रात है।
अब घर को जल्दी चलना होगा
वरना घर पर पंगा होगा।
अब न मिलेगा ये आनंद दुबारा
क्यूंकि यारों
बहुत खूबसूरत ये
सर्दी की जो शाम है।